Sunday, April 15, 2007

हौसले को सलाम


भेजा फ्राय, बहुत दिनों बाद एक ऐसी फिल्म देखी जिसमें मन को हंसाने के लिए मजबूर नहीं करना पड़ा। जो हंसने के शौकीन हैं और जॉनी लीवर या चैनल पर हंसी के नाम पर आ रही नौटंकी से बोर हो गए हैं, उनके लिए ये फिल्म एक रियल मसाला है। फिल्म का सुरूर कुछ उतरने के बाद जब उसकी कास्ट के बारे में सोचा तो अचानक ध्यान सारिका के ऊपर गया। वो सारिका जिसने रजत पटल पर पिछले कुछ महीनों में ऐसी एंट्री की है..जो शायद अपने पुराने वक्त में नहीं कर पाईं। पहले परजानिया फिर भेजा फ्राय। दोनों ही फिल्मों में उनके अभिनय की तारीफ की गई है। सारिका उन तारिकाओं में से हैं जिन्होंने बचपन से लेकर अब तक कई किरदार निभाए हैं। बचपन में उनकी भूमिकाएं सराही गईं कभी लड़का बनी कभी लड़की। लेकिन जब लीड रोड में आईं तब तक हमारी इंडस्ट्री का वो दौर चल रहा था.. जहां हिंदी सिनेमा भटका सा लगता था। उस दौर में उनकी पहचान मेरे लिए न के बाराबर है। दूसरी बार मुझे चर्चाओं में वो तब याद आईं जब उन्होंने कमल हसन से शादी के बाद अपना सिर मुंडाया। अफवाहें ये रहीं कि कमल हसन की सफलता के लिए उन्होंने ऐसा किया है.. हकीकत पता नहीं। उसके बाद पता चला कि कमल और सारिका का तलाक हो गया है। वो खो सी गईं..लेकिन जब लौंटी तो उसी विश्वास बल्कि ये कहें पहले से ज्यादा विश्वास के साथ।

कुछ इसी से मिलती जुलती कहानी अमृता सिंह की भी है। वो अमृता सिंह जो अपने फिल्मी करियर से ज़्यादा चर्चाओं में इसलिए रहीं.. क्योंकि उन्होंने अपने से छोटी उम्र के सैफ अली खान से शादी की। शादी के बाद अमृता ने बड़े पर्दे से विदाई ले ली। दो बच्चों और परिवार में अमृता ऐसी गुम हो गईं..कि कभी ख़बरों में नहीं रहीं। मीडिया का उन पर ध्यान गया तो तब जब सफल अभिनेता बनते ही सैफ की नई गर्लफेंड रोसा का जिक्र हुआ... और अमृता से सैफ का तलाक हो गया। अमृता फिर फिल्मों में आईं.. और कलयुग फिल्म में खलनायिका बन कर। उन्होंने छोटे पर्दे पर भी काम किया। सुना तो ये भी है कि एकता कैंप उन्हें अपने नए सीरियल के लिए साइन करने के लिए दिन रात एक किए हुए है। परिवार से टूटने के बाद अमृता फिर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। पूजा बेदी के एक इंटरव्यू में अमृता ने बड़ी बेबाकी से कहा था कि अब वो जानती हैं कि यंग नहीं हैं.. काफी समय से काम छोड़ा है..इसलिए काम मिलने में दिक्कत होगी.. लेकिन वो हारी नहीं हैं।

दोनों ही मामलों में सारिका और अमृता दोनों ने साबित किया, कि परिवार के लिए उन्होंने अपना सबकुछ छोड़ ज़रूर दिया था.. लेकिन इस बीच उन्होंने खुद को संभाले रखा। और वही हिम्मत आज उनकी सफलता की निशानी है।

ऐसे विश्वास और हौसले को सलाम।

2 comments:

Soumyadip said...

Often success comes from breaking the shackles. Though it is not necessary that all limitations (be it personal or otherwise) are barriers in one's personal and professional growth. It is that the best comes out of the self in times of adversity.

I always had a liking for Sarika (though can't say the same for Amrita) but as you have stated the way they are reshaping their once lost careers is indeed commendable.

One example that I would like to point out here is Juhi Chawla. Though her personal graph differs from the two mentioned in this post (and therefore may not be entirely related), she is simply getting better with age. A Juhi in Qayamat Se Qayamat Tak cannot possibly be compared with the Juhi in Jhankaar Beats.

तेज नारायण said...

कहते हैं कला और कलाकार की कोई उम्र नहीं होती. बॉलीवड में इस तरह के मौके कम देखने को मिलते हैं जहां लंबे अंतराल के बाद अभिनेता या अभिनेत्री पुन: अपना करिश्मा दिखा पाएं. लेकिन हाल के दिनों में अमिताभ बच्चन की अगुवाई में कुछ पुराने जमाने के अभिनेताओं ने ये कमाल कर दिखाया है. इसका श्रेय मौजूदा दौर के पटकथा लेखकों को भी जाता है, जिन्होंने लेखन के जरिए इन कलाकारों के प्रतिभा और अनुभव का पूरा लाभ सिनेमा को दिया है...इस लेख के जरिए तुमने आधुनिक जमाने की औरतों की दोहरी जिम्मेदारियों को समझाने की जो कोशिश की है वो भी काबिले तारीफ है...