ख़त आया है।
कोई लिफ़ाफा नहीं। कोई अंतरदेसी नहीं..न ही कोई पोस्टकार्ड
ई-मेल भी नहीं।
ख़त आया है।
आसमां में सात तिरछी रेखाओं की स्याही से इसे लिखा है
बादल भी उसे रंग देने के लिए कुछ सांवले पड़ गए
धरती ने मुस्कुराना शुरू कर दिया,
जब बूंद-बूंद अक्षर पढ़ना शुरू किया
खुशी से झूम उठी वो,
अंग-अंग मस्ती में भिगो गया...
वो बांवरा...ख़त
इठलाता सपना