Wednesday, November 14, 2007

पानी से आसमां का मिलन

पिछले दिनों मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल जाना हुआ। मैनें यहां करीब पांच साल बिताए। पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। यूं तो भोपाल बहुत खूबसूरत शहर है। वहां का दो तालाब हैं। एक बड़ा तालाब, जिसे लोग लेक व्यू के नाम से जानते हैं। यहां बहुत भीड़ होती है। दूसरा शाहपुरा, छोटा तालाब। ये छोटा है, यहां ज्यादा भीड़ नहीं होती। मुझे ये बेहद पसंद है। ये गवाह है मेरी हर छोटी-बड़ी खुशी, छोटे-बड़े दुख का। जब भी मन बहुत खुश हुआ या बहुत उदास, इसी से आकार बांटा। इतने साल बाद जब इसे देखा तो लगा पुराने दिनों में लौट गए।
किसी ने सच कहा है यादें हमेशा तकलीफ देती हैं। अच्छी हों तो उनके अब न होने का ग़म। बुरी हों तो भी भारी मन। लेकिन इनके बिना जिया भी तो नहीं जा सकता।






1 comment:

Kaukab said...

kisi shayar ne theek hii kaha tha shayad...
Yaad-e-maazi azab hai ya rab
Cheen le mujhse hafiza mera

Taalab mein dheeme dheeme utar rahi sham ki tasweeron ke liye shukriya. main kabhi Bhopal nahi gaya, magar tasweerein dekh kar dil na jane kyon udaas ho gaya... yaden sachmuch udas kartii hain